यह सुनते ही उसने मेरा टॉप और स्कर्ट उतार दी।अब मैं सिर्फ ब्रा पेन्टी में थी।
वो मेरी नंगी पीठ पर चुम्बन करने लगा और हाथों से मेरे पेट, नाभि, मम्मों को सहलाने और दबाने लगा, मेरी ब्रा का स्ट्रेप कंधों से नीचे कर दिया और चुम्बन करने लगा।
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फिर उसने मुझे अपनी बाँहों में उठाकर बेड पर लिटा दिया।
वो अपनी शर्ट उतारने लगा और मैंने उसकी जीन्स और अंडरवियर खींच कर नीचे कर दी और उसका 7 इंच का लंड तना हुआ बाहर आ गया जिसे देखकर मेरे मुँह में पानी आ गया और मैंने उसको पलट कर बिस्तर पर गिरा दिया।
मैं उसके पेट को चूमते हुए उसके आँडों को चूमने लगी, फिर लण्ड पर जीभ फेरते हुये सुपारे को मुँह में भर लिया।
मेरी 5 मिनट की लंड चुसाई में वो दो बार झड़ गया।
फिर उसने मुझे नीचे पटका और मेरी ब्रा को उतार फेंका। ब्रा अलग होते ही मेरे मुस्म्मियों जैसे मम्मे उसके सामने थे, जिन पर छोटे छोटे भूरे से रंग के निप्पल थे।
वो अपनी जीभ निकाल कर मेरी फूली-फूली मुस्म्मियों पर टूट पड़ा और चूसने लगा। वो उन रस भरे काम-फलों को हल्के से दांतों से काट रहा था।
अब मेरी चूत में खुजली होने लगी थी, मैं बार-बार अपने हाथ से चूत को सहला रही थी।
अखिल- उम्म.. उम्म्म आह उम्मह…!
मैं- सीय.. आह उम्मह.. उम्म्म अम्म…!
वो मेरी चूचियों को पूरा अपने मुँह में लेना चाहता था पर कर नहीं पा रहा था।
मैं- आह.. प्लीज… सीई.. आ उम्मह.. उम्म्म आ…!
वो मेरे पेट को चूमता हुआ नीचे आ गया और अपना मुँह मेरी चूत पर रख दिया।
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मेरी चूत जो अब तक पैंटी के अन्दर थी, उसे खाने क़ी पूरी कोशिश कर रहा था वो!
फिर उसने अपना हाथ पेंटी के अन्दर डाल दिया और चूत क़ी फाकों पर अंगुली चलाने लगा।
मेरी आह अब सेक्सी सिसकारियों में बदल गई थी।
उसने मेरी पेंटी को भी चूत से अलग कर दी।
उसने मेरी नंगी चूत को अपने मुँह में ले लिया और फाकों को मुँह में लेकर चूसने लगा।
अब उसने मेरी टाँगें उठा कर अपने कंधों पर रख ली और मेरी चूत पर अपना मुँह लगा दिया।
उसकी जीभ मेरी चूत क़ी फाकों को चीरती हुई अन्दर जा घुसी।
मैं- आआ उफ्फ़… क्या कर रहे हो अखिल आ..ह.. आ..ह… मज़ा आ गया उफ़ प्लीज़ आह… चूसो ना!
वो मेरी चूत चूसे जा रहा था और मेरे हाथ उसके सर को मेरी चूत क़ी ओर धकेल रहे थे।
अखिल ने मेरी चूत को चूस कर इतना गर्म कर दिया कि मैं अपनी टाँगों को भींच कर मदहोश होने लगी।
मैं- आ..ह.. उफ़.. सीसी…. आ..ह.. आ..ह… उफ़.. मेरा पानी निकलने वाला है आ..ह.. प्लीज़ जोर से… आ..ह.. आह…
और इस चुसाई से मेरी चूत ने अपना कामरस बहा दिया… जिसे अखिल पी गया।
अखिल- मजा आ गया अनन्या… काश तुम्हारी चूत यह रस मैं सारी जिंदगी पीता रहूँ!
मैं- जानू, यह रस तुम्हें जिन्दगी भर याद रहेगा।
अखिल- जानेमन मेरा लौड़ा तेरी चूत में जाने के लिए कब से बेकरार है..
मैं- जो भी करना है कर लो मेरे राजा, आज मैं सिर्फ तुम्हारी हूँ।
उसने मेरी जांघों को हाथों से पकड़ कर मेरी टाँगों को फैला दिया और अपना लौड़ा हाथ से पकड़ कर चूत पर रगड़ने लगा। मुझे मज़ा आ रहा था।
वो लण्ड को मेरी चूत पर रगड़ने लगा.. मैं सुपारे की गर्मी को चूत के मुँह पर पाकर तड़पने लगी।
मैं- उ उफ़फ्फ़ आ..ह.. प्लीज़ अब मत तड़पाओ, आह डाल दो आ..ह.. अब बर्दाश्त नहीं होता आह!
उसने अपने एक हाथ से लंड को पकड़ा और दूसरा हाथ मेरी कमर पे रख दिया, और धीरे धीरे अपना लंड मेरी चूत में डालना शुरू किया।
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मेरी चूत पानी छोड़ चुकी थी.. तो चूत गीली थी।
तभी उसने चूत पर जोरदार झटका मार दिया.. और उसका मोटा लण्ड 3 इंच चूत को फाड़ता चला गया।
मेरे मुँह से चीख निकली- अयाया… उफफ्फ़… मर गई उह अई… ऑश आ अई आआ… अई अहहह!
वो रुक गया.. मेरी चूत से खून निकल रहा था और आँखों से आँसू।
मैं झटपटाने लगी।
पर वो मेरी ओर ध्यान दिए बिना मेरे मम्मों को दबाने लगा और चूमने लगा।थोड़ी देर बाद जब मेरा दर्द कम हुआ तो मैं अपने चूतड़ उछालने लगी।
अखिल समझ गया कि मेरी चूत का दर्द कम हो गया है तो उसने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और एक ज़ोर का झटका मारा। उसका लंड पूरा मेरी चूत में घुसते हुए मेरी बच्चेदानी से जा टकराया।
मेरी आँखों से पानी निकल आया, मुख से चीख नहीं निकल पाई.. वो अपने मुँह से मेरा मुंह बंद किए हुए था।
उसने चोदना चालू कर दिया, मैं भी दर्द भूलकर चुदने लगी।
थोड़ी देर बाद…मुझे मजा आने लगा..
मैं- आ फक मी आ… फक मी आ फक हार्ड… आ आउऊ उईईई… ह अयाया अई आआ…
वो मेरी चूत को धकापेल चोद रहा था और मैं भी अपनी गांड उछाल उछाल कर अखिल के लौड़े से चुदवा रही थी।
मैं- अई..आह आह ऊउ उउह उई मर गई आआ आह आ आ… बहुत द..द..दर्द कर दिया उउउ उउउ आ प्लीज़ निकाल लो आ मैं दर्द से आह मर जाऊँगी आ.ह..!
अखिल- जान, बस थोड़ी देर की बात है..
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मैं- अईए इ उफ्फ़ सस्स कककक आह आ प्लीज़ आह ओ बहुत आह दर्द आ हो रहा है..!
काफ़ी देर की जोरदार चुदाई के बाद हम दोनों झड़ने वाले थे।
मैं- अई.. आह ज़ोर से करो आ या या फक मी.. आ फक हार्ड ओफफ्फ़.. फू..ओ आ फास्ट आ फास्ट स्वीट-हार्ट.. आह आ.ह..!
अखिल- उह ये लो आ एया आआ आआ अई…!
मैं- आ उफ़ फास्ट और फास्ट आह मैं गई आ फक मी आ… फक मी आ फक हार्ड… आ आ मैं गई उउउ उईईई… ह अयाया अई आआ… अहाह आहा हः आहह..!
मेरी चूत ने अपना लावा उदास दिया।
अखिल ने लौड़ा बाहर निकाल कर मेरे मुँह में दे दिया और झटके मारने लगा।
तभी एक बहुत तेज़ पिचकारी निकली जो सीधे मेरे गले में गई और उसका वीर्य मेरे मुँह में भर गया। मैं पूरा पानी पी गई।
लौड़े को जीभ से चाट-चाट कर साफ कर दिया और बेड पर निढाल होकर पसर गई।
और वो भी लेट गया्।
उस दिन उसने मुझे दो बार ओर चोदा।
फिर हम साथ में नहाये।
वो शाम को जयपुर चला गया और मैं अपने घर आ गई।