ऑफिस में माया की सामूहिक चुदाई

उस्मान के छूने से माया सहर उठी. आज तक अंकित के अलावा इस तरह उसे किसी ने नहीं छुआ था. माया के जिस्म में करंट दौड़ने लगा. वो सोच ही रही थी कैसे बचाए खुद को क तभी एक आवाज आई और उसने देखा उस्मान के हाथ में कैमरा था. माया ने अपना हाथ अमित से छुड़ाया और उस्मान से कैमरा छीनने के लिए लपकी. लेकिन उस्मान पहले से ही जानता था माया ऐसा करेगी. उस्मान ने तुरंत कैमरा अपने पीछे कर लिया और माया उससे कैमरा छीनने की कोशिश करने लगी. माया के मोटे मोटे मम्मे उस्मान के सीने से रगड़ने लगे, लेकिन इससे बेखबर माया तो बस कैमरा छीनना चाहती थी. तभी अमित ने पीछे से अपने दोनों हाथ माया की कमर से होते हुए पेट से सटा दिए और माया को पीछे खींच लिया.

“क्या सर, अभी तो मज़ा आने लगा था. थोड़ा और मैडम के कबूतरों का मज़ा लेने देते” उदास होते हुए उस्मान बोला. उसमे की बात सुन के माया को होश आया के वो क्या कर रही थी और उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया.

“ब्रा तो मैडम की ही है” खुश होते हुए उस्मान बोला. इससे पहले कोई और कुछ बोल पता, माया के फ़ोन पे MD का कॉल आ गया. माया को याद आया उसकी मीटिंग है और सब उसका वेट कर रहे है. अमित से फाइल छीनते हुए माया लेडीज वाशरूम की तरफ भागी. शीशे में खुद को देख के अपना हुलिए ठीक किया. “जो हो गया वो हो गया. इन दोनों मादरचोदो से तो बाद में निपट लुंगी. पहले मुझे इस मीटिंग के बारे में सोचना होगा” ये सब सोचते हुए माया बाहर निकली और सीधे मीटिंग रूम में घुस गई. जहा लगभग सब पोहोच चुके थे. MD ने सबका परिचय माया से करवाया और जैसे ही माया अपनी प्रेजेंटेशन स्टार्ट करने वाली थी, उसकी नज़र अमित पे पड़ी, जो की सबसे पीछे बैठा मुस्कुरा रहा था. पिछले २० मिनट में जो भी हुआ था,

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माया के सामने आ गया और माया को ये भी याद आ गया के उसने ब्रा नहीं पहनी है और साडी भी नाभि से २ इंच नीचे पहनी है. माया सबके सामने तो साडी ठीक कर नहीं सकती थी, इसलिए उसने अपनी प्रेजेंटेशन चालू की. पहले १० मिनट के बाद किसी का भी ध्यान माया की प्रेजेंटेशन पे नहीं था. खुद MD भी AC की वजह से अकड़ चुके माया के निप्पल और सपाट पेट को देख रहे थे. इस हुलिए में माया साक्षात् काम की देवी लग रही थी. माया ये जानती थी और वो फैसला कर चुकी थी के जब सब सम्मोहित हो ही चुके हे, क्यों ना डील को फाइनल किया जाए जिससे MD पे वो अपनी धक् जमा सके. उसके बाद अमित के साथ क्या करना है वो सोचेंगे.

प्रेजेंटेशन ख़तम होते ही कमरा तालियों से गूंज पड़ा. MD ने माया को गले से लगा लिया. क्लाइंट भी बोहोत खुश नज़र आ रहा था और उसने तभी डील फाइनल कर दी. माया ख़ुशी ख़ुशी अपने केबिन में वापस आ गई और घर जाने की तैयार करने लगी. केबिन में दरवाजा खुला और सुमित अंदर आया. माया ने बधाई लेने के लिए सुमित की तरफ हाथ बढ़ाया ही था के सुमित बोला “माया, मुझे तेरी पेंटी चाहिए. अमित सर ने कहा है के उनकी रंडी आज बिना ब्रा पेंटी के ही घर जाएगी”. ये सुनते ही माया के होश उड़ गए. “सुमित तुम भी?” माया बस इतना ही बोल पाई. आज तक अपने लिए इस तरह की बातें किसी से नहीं सुनी थी माया ने. और वो जानती थी, के जब तक वो फोटो अमित के पास है, उसे अमित की सारी बातें माननी पड़ेंगी.

“सुमित तुम बाहर जाओ, में उतर के देती हूँ तुम्हे” माया ने निराश स्वर में कहा. “अमित सर ने कहा है के पेंटी में खुद उतारू, नहीं तो वो फोटो सबको भेज देंगे” सुमित चहकते हुए बोला. माया के पास कोई रास्ता नहीं था. वो केबिन का दरवाजा बंद कर के सुमित के सामने खड़ी हो गई. सुमित ने इससे माया का समर्पण समझा और वो माया के सामने घुटने के बल बैठ गया. जैसे ही सुमित से ऊपर देखा, सुमित का मुँह खुला का खुला रह गया. गोरा सफ़ेद पेट और उसपे सुन्दर सी नाभि. और उसके ऊपर विशाल उन्नत वक्ष जो ब्लाउज में कैद थे. ब्लाउज झीना होने के कारण सुमित को गोर गोर मम्मो की झलक मिल रही थी और उसका लन्ड पेन्ट फाड़ के बाहर आने को तैयार था. “जल्दी करो, मुझे घर के लिए निकलना है. मेरे पति मेरा वेट कर रहे है” माया बस यही बोल पाई.

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प्रेजेंटेशन ख़तम होते ही कमरा तालियों से गूंज पड़ा. MD ने माया को गले से लगा लिया. क्लाइंट भी बोहोत खुश नज़र आ रहा था और उसने तभी डील फाइनल कर दी. माया ख़ुशी ख़ुशी अपने केबिन में वापस आ गई और घर जाने की तैयार करने लगी. केबिन में दरवाजा खुला और सुमित अंदर आया. माया ने बधाई लेने के लिए सुमित की तरफ हाथ बढ़ाया ही था के सुमित बोला “माया, मुझे तेरी पेंटी चाहिए. अमित सर ने कहा है के उनकी रंडी आज बिना ब्रा पेंटी के ही घर जाएगी”. ये सुनते ही माया के होश उड़ गए. “सुमित तुम भी?” माया बस इतना ही बोल पाई. आज तक अपने लिए इस तरह की बातें किसी से नहीं सुनी थी माया ने. और वो जानती थी, के जब तक वो फोटो अमित के पास है, उसे अमित की सारी बातें माननी पड़ेंगी.

“सुमित तुम बाहर जाओ, में उतर के देती हूँ तुम्हे” माया ने निराश स्वर में कहा. “अमित सर ने कहा है के पेंटी में खुद उतारू, नहीं तो वो फोटो सबको भेज देंगे” सुमित चहकते हुए बोला. माया के पास कोई रास्ता नहीं था. वो केबिन का दरवाजा बंद कर के सुमित के सामने खड़ी हो गई. सुमित ने इससे माया का समर्पण समझा और वो माया के सामने घुटने के बल बैठ गया. जैसे ही सुमित से ऊपर देखा, सुमित का मुँह खुला का खुला रह गया. गोरा सफ़ेद पेट और उसपे सुन्दर सी नाभि. और उसके ऊपर विशाल उन्नत वक्ष जो ब्लाउज में कैद थे. ब्लाउज झीना होने के कारण सुमित को गोर गोर मम्मो की झलक मिल रही थी और उसका लन्ड पेन्ट फाड़ के बाहर आने को तैयार था. “जल्दी करो, मुझे घर के लिए निकलना है. मेरे पति मेरा वेट कर रहे है” माया बस यही बोल पाई.

माया की आखो से आंसू टपक रहे थे. लेकिन सुमित को इसकी कोई परवाह नहीं थी. उसने धीरे धीरे माया की साडी ऊपर उठानी चालू की. सुमित हर पल का भरपूर मज़ा लेना चाहता था. जैसे जैसे माया की साडी ऊपर जा रही थी, माया की सासे तेज़ होती जा रही थी. जो कुछ हो रहा था उसे बिलकुल अच्छा नहीं लग रहा था, लेकिन कही अंदर, सुमित का उसकी टांगो पे स्पर्श उसे उत्तेजित भी कर रहा था. उससे भी बुरा हाल सुमित का था. अब वो माया क घुटनो तक पोहोच चूका था और माया की झांघो की तरफ बढ़ रह था. माया की सुडोल झांघो अब सुमित को दिखने लगी थी के तभी माया ने उसका हाथ पकड़ लिया.

“बस सुमित, इससे ऊपर मत करो साडी को” माया ने हाफ्ते हुए कहा. सुमित समझ चूका था के लोहा गरम है, लेकिन वो माया के साथ ज़बरदस्ती कर के मज़ा ख़राब भी नहीं करना चाहता था. सुमित को एक आईडिया आया. सुमित ने साडी को वही रखा, और थोड़ा सा ऊपर हो गया अपने घुटनो पे. इससे अब सुमित का चेहरा माया के पेट के सामने था. सुमित थोड़ा माया के पास खिसका और अपनी गरम सांसे माया के पेट पे छोडने लगा. माया ये सब देख रही थी और सुमित को रोकना भी चाहती थी, लेकिन जैसे ही सुमित की गरम साँसे माया के पेट पे पड़ी, उसका सर अपने आप पीछे की तरफ झुक गया.

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अब सुमित जानता था के माया उसके कब्ज़े में है. सुमित ने अपने हाथ ऊपर बढ़ाना शुरू किया और अपनी गरम सांसे और तेज़ माया के पेट पे छोडने लगा. सुमित के हाथ के साथ साथ सुमित भी थोड़ा थोड़ा ऊपर होता जा रहा था और जैसे ही सुमित के साथ माया की पेंटी तक पोहोचे, सुमित ने माया के मम्मे के थोड़ा सा नीचे अपने होठ लगा दिए. इससे माया को होश आया और उसने तुरंत सुमित को अपने से दूर धकेला. तब तक सुमित माया की पेंटी नीचे सरका चूका था. माया ने अपने पैर उठाए. और पेंटी निकल के सुमित को दे दी. सुमित भी थोड़ा हड़बड़ा गया और तुरंत उठ के बाहर निकल गया.

माया ने जल्दी से अपना हुलिया ठीक किया, अपना सामन समेटा और पार्किंग की तरफ दौड़ पड़ी. उसे समझ नहीं आ रहा था उसके साथ अभी अभी जो हुआ. सुमित ने जब उसे छुआ, वो जोर से चिल्ला के सबको बताना चाहती थी के उसके साथ क्या हो रहा है. लेकिन सुमित के स्पर्श ने उसे सब भुला दिया. अंदर ही अंदर माया को लग रहा था के उसने अंकित को धोका दिया है और ये सब कैसे भी कर के रोकना होगा. तभी उससे अपनी गाड़ी दिखाई दी और गाडी के पास खड़ा उस्मान भी. “क्यों मैडम, सुमित सर ने ज्यादा परेशान तो नहीं किया ना?” उस्मान माया के मम्मो को घूरते हुए बोला. “मुझे तेरी शकल भी नहीं देखनी है मादरचोद, दूर हट मेरी गाडी से” माया चिल्लाई. “मुझे भी कहा आपको अपनी शकल दीखानी है मैडम.

देखने वाली चीज़ तो कुछ और है जो आपको जल्द ही देखने को मिलेगी. खेर, अमित सर ने कहा है कल से पुरे हफ्ते आपको बिना ब्रा पेंटी के ही ऑफिस आना हे. अगर आपने दोनों या दोनों में से कुछ भी पहना, तो.” उस्मान आगे बोलता इससे पहले माया बोल पड़ी “हा हा मुझे पता हे. अमित वो फोटो सब को भेज देगा”. “तू तो बोहोत समझदार है मेरी रंडी” उस्मान ने अपना हाथ आगे बढ़ाया. इससे पहले वो माया को छू पता, उसे दूर से पार्किंग की तरफ आते हुए MD दिख गए. उस्मान फटाफट वह से निकल गया और माया भी इस हालत में MD से नहीं मिलना चाहती थी, इसलिए वो भी अपनी गाडी में बैठ के निकल पड़ी अपने घर की तरफ.

घर पोहोच के माया सीधे नहाने चली गई. आज जो कुछ भी हुआ उसकी आखो के आगे घूम रहा था. वो सोच रही थी के आने वाला हफ्ता पता नहीं कैसे निकलेगा. “बिना ब्रा पेंटी के ऑफिस कैसे जाउंगी में. अंकित को क्या कहूँगी. किसी को पता लग गया तो क्या होगा. मुझे कुछ भी कर के वो फोटो वापस लेनी होगी अमित से” माया खुद से बात करते हुए नहाने लगी. शावर चालू कर के जैसे ही माया के बदन पे ठंडा पानी पड़ने लगा, उसे अच्छा लगने लगा. “आज सुमित को में नहीं रोकती तो ना जाने क्या होता” माया की आखों के सामने वो मंजर आ गया. “उफ्फ्फफ्फ्फ़. सुमित के हाथ मेरी जांघो को कैसे सहला रहे थे.” माया ने अपना सर नीचे किया, और उसे लगा जैसे सुमित अब भी नीचे बैठा है अपने घुटनो के बल.

माया को सुमित की साँसे अपने पेट पर महसूस होने लगी और उसका हाथ अपने आप उसकी चुत पे चला गया. “उस्मान का सीना कितना चौड़ा था. और सुमित की साँसे कितनी गरम.” सोचते हुए माया की उंगलिया तेज़ तेज़ चलने लगी. “उस हरामी उस्मान को मेरे चुच्चो को अच्छे से महसूस किया होगा. क्या उसने मेरे मम्मो को छुआ भी था?? छुआ ही होगा. कौन रह सकता हे इन मम्मो से दूर.” सोचते हुए माया अपने मम्मो को दबाने लगी. अब उसकी उंगलिया चुत के ऊपर दाने को रगड़ रही थी जो बोहोत देर से फड़क रहा था. “उउउउम्मम्म आआअह्ह्ह्हह सीईई आआआआह्ह्ह्हह्ह्ह्ह” कहते हुए माया झड़ने लगी. माया की आखें बंद होने लगी और वो नीचे बैठ गई. लेकिन माया की चुत में अभी भी आग लगी थी. माया नाहा के बाहर निकली और एक सेक्सी सी मैक्सी पहन के बैडरूम में घुस गई. उसने अंकित के कलेक्शन में से एक पोर्न मूवी चला ली और अंकित का इंतज़ार करने लगी.

कहानी ज़ारी रहेगी अगले अंक में..