मुझे मिला दीपा को चोदने का मौका

मुझे फिर मस्ती सूझी और मैंने फिर से दीपाली से पूछा- जीजी बताओ ना कि तुम उस रोज क्या कर रही थी?

यह सुन कर वो पहले तो मुस्कुराती रही और फिर एकदम से बोली- क्या तू मुझे फिर से नंगा देखना चाहेगा?

मेरा दिल बहुत जोरों से धड़कने लगा और मैंने हल्के से कहा- हाँ जीजी ! मैं फिर से आपको नंगा देखना चाहता हूँ।

तो वो बोली- क्या कभी तूने पहले भी यह काम किया है?

मैंने कहा- नहीं !

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तो उसने कहा- आ मेरे पास ! आज मैं तुझको सबकुछ सिखाऊंगी और यह कह कर उसने मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया और मेरे होंट चूमने लगी। मैंने भी उसको कस कर पकड़ लिया और उसके होंठ चूमने लगा। उसकी जीभ मेरे मुँह में घुसने की कोशिश कर रही थी तो मैंने अपना मुँह खोल कर उसकी जीभ चूसनी शुरु कर दी। इधर मेरा लण्ड भी चोट खाये काले नाग की तरह फ़नफ़ना रहा था और पैंट में से बाहर आने के लिये मचल रहा था। मैंने एक हाथ बढ़ा कर दीपाली की तनी हुई चूची पर रख दिया और बड़ी बेताबी के साथ उसको मसलने लगा। दीपाली का सारा शरीर एक भट्टी की तरह तप रहा था और हमारी गरम सांसें एक दूसरे की सांसों से टकरा रही थी। ऐसा लग रहा था कि मैं बादलों में उड़ा जा रहा हूँ। अब मेरे से सबर नहीं हो रहा था। मैंने उसकी चूची मसलते हुये अपना दूसरा हाथ उसके चूतड़ों पर रख दिया और उनको बहुत बुरी तरह मसलने लगा।

दीपाली के मुँह से हल्की सी कराहने की आवाज निकली- ओह्हह्हह्ह।।।।।अयीईई।।। और बोली- जरा आराम से मसलो ! मैं कोई भागी नहीं जा रही हूँ, जोर से मसलने पर दर्द होता है।

लेकिन मैं अपनी धुन में ही उसके चूतड़ मसलता रहा और वोह ओह्हह्हह्ह।।।।।।।।।।। अययययीए।।।।। करती रही।

यह आवाजें सुन कर मेरा लण्ड बेताब हो रहा था और पैन्ट के अंदर से ही उसकी नाभि के आस पास टक्कर मार रहा था। मैंने उसके कान में फ़ुसाफ़ुसाते हुये कहा- अपनी सलवार कमीज़ उतार दो !

तो पहले तो वो मना करने लगी लेकिन जब मैंने उसकी कमीज़ ऊपर को उठानी शुरु की तो उसने कहा- रुको बाबा ! तुम तो मेरे बटन ही तोड़ दोगे ! मैं ही उतार देती हूँ !

और यह कह कर उसने अपनी कमीज़ के बटन खोल कर अपनी कमीज़ उतार दी। अब वोह सिरफ़ सफ़ेद ब्रा और सलवार में खड़ी थी। मैं उसको देखता ही रह गया। उसकी बगल में एक भी बाल नहीं था, शायद रविवार को ही बगल के भी बाल साफ़ किये थे। मैंने अपना दहिना हाथ उठा कर उसकी बाईं वाली चूची पर रख दिया और ब्रा के ऊपर से दबाने लगा और दूसरे हाथ को मैं उसकी गाण्ड पर फिरा रहा था।

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दीपाली का चेहरा लाल सुर्ख हो गया था और उसके मुँह से सिसकियाँ निकल रही थी- अह्हह्ह।।।। अह्हह्ह।।।।। ओह्हह्ह।।।।

इस समय मेरे दोनों हाथ उसकी चूची और गाण्ड मसलने में व्यस्त थे और होंठ उसके होंठो को चूस रहे थे। मैंने उसको पलंग पर लिटा दिया और मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसकी कमर के नीचे हाथ लेजा कर सर को ऊपर उठाया और उसके होंठ चूसने लगा।

मैं इतना जोश में था कि कई बार उसने कहा- जरा आहिस्ता चूसो मेरा दम घुटता है।

कई बार तो एक दूसरे के होंठ चूसते-2 हम दोनों के मुँह से गूऊ।।।।।।न।।।।।।।।।।गू की आवाज निकल जाती।

अब मै पीछे से उसकी ब्रा का हूक खोलने लगा था और थोड़ी सी मेहनत के बाद उसे भी खोल दिया और हूक खुलते ही उसकी चूचियाँ एकदम से ऊपर को उछली मानो उनको जबरदस्ती दबा कर कैद किया गया था और अब उनको आज़ादी मिल गई हो। उसकी चूचियाँ बहुत ही गोरी चिट्टी और एकदम सख्त और तनी हुई थी। निप्पल बाहर को उठे हुये और एक दम तने हुये थे।

जैसे ही मैंने एक हाथ से उसकी चूची मसलनी शुरु की और दूसरी को अपने मुँह से चूसने लगा तो दीपली की हालत खराब हो गई और वोह जोर से कसमसाने लगी। अब उसके मुँह से स्ससीईई।।।।।। अह्हह्हह्हह्हह।।।।।।ओह्हह्हह्हह्ह मीएर्रर्रर्रि माआआआआअ मर्रर्रर्र गयीईई रीईई जैसी आवाज निकलने लगी। इधर मेरा लण्ड अभी तक पैन्ट में ही कैद था और उछल-कूद कर रहा था और उसकी सलवार के ऊपर से ही उसकी चूत पर टक्कर मार रहा था। अब मैंने मुँह से उसकी चूची चूसते हुये और एक हाथ से चूची मसलते हुये दूसरे हाथ से उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया और उसने भी कोई देर नहीं की तथा अपनी गाण्ड ऊपर कर के मुझे अपनी सलवार उतारने में मदद कर दी।

अब वोह सिरफ़ पैन्टी में ही थी और उसने सफ़ेद रंग की ही पैन्टी पहन रखी थी जो कि चूत के ऊपर से कुछ गीली हो रही थी। लगता था कि उसकी चूत ने उत्तेजना के कारण पानी छोड़ना शुरु कर दिया था।

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जैसे ही मैंने उसकी चूत को पैन्टी के ऊपर से सहलाना शुरु किया तो वो काम्पने सी लगी और मस्ती में आकर बोली- मुझको तो नंगी कर दिया है और मेरा सब कुछ देख लिया है, लेकिन तुम अपना लण्ड अभी तक पैन्ट में छुपाये हुये हो !

यह कह कर उसने मेरी पैन्ट की ज़िप खोल दी और चूंकि मैं पैन्ट के नीचे या वैसे अण्डरवीयर नहीं पहनता हूँ, मेरा लण्ड एकदम फ़नफ़नाता हुआ बाहर निकल आया। मेरा लण्ड देखते ही दीपाली एकदम मस्त हो गई और बोली- हाय राम ! तुम्हारा लण्ड तो काफ़ी लम्बा और मोटा है, लगभग 8 इंच लम्बा होगा और 3 इंच मोटा होगा। वाह ! तुम्हारे साथ तो बहुत ही मज़ा आयेगा। मैं तो तुम्हें अभी तक बच्चा ही समझती थी मगर तुम तो एकदम जवान हो ! एक खूबसूरत लण्ड के मालिक हो और बहुत अच्छी तरह से चोदने की ताकत रखते हो।

अब उसने मेरे सारे कपड़े एक एक करके उतार दिये और मेरे तने हुए लण्ड को सहलाने लगी। मेरे लण्ड का सुपारा एकदम से लाल हो रहा था और काफ़ी गरम था। अब मैंने भी उसकी चूत पर से उसकी पैन्टी उतार दी और देखा कि आज उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं है और एकदम सफ़ाचट है।

मैंने कहा- जीजी, उस रोज तो तुम्हारी चूत पर बहुत झान्टे थी और आज एकदम साफ़ है और किसी हीरे की तरह चमक रही है तो वो हंस पड़ी और बोली- मैं तुम्हारी तरह नहीं हूँ जो अपनी झान्ट और बगल का जंगल साफ़ ना करे। यह मुझको अच्छा नहीं लगता और तुम भी यह सब साफ़ करा करो।

मैंने कहा- जीजी, मैंने तो आज तक अपनी झान्ट और बगल के बाल साफ़ ही नहीं किये है और मुझे डर लगता है कि कहीं ब्लेड से कट ना जाये !

तो वो खिलखिला पड़ी और फिर बोली- अगर ऐसी बात है तो बगल के बाल और लण्ड से झान्ट मैं शेव कर दूंगी और हाँ एक बात और है कि अब तू मुझे बार बार जीजी ना कहा कर। अब मैं तेरी जीजी नहीं रही हूँ, तेरी माशूका हो गई हूँ इसलिये अब तू मुझको परिया कहा कर।

मैंने कहा- अच्छा !

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यह कह कर मैंने एक उंगली उसकी चूत के छेद में डल दी, छेद काफ़ी गीला था और एकदम चिकना हो रहा था। उसकी चूत एक दम गुलाबी थी पानी निकलने के कारण काफ़ी चिकनाहट थी। मैंने उसकी चूत में उंगली अंदर बाहर करनी शुरु कर दी और कभी कभी मैं उंगलियों के बीच उसके दाने को भी मसल देता था। उसके मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थी- ह आह्ह्ह।।।। आह्हह्ह।।।। हय ईई ईई हैईईईइ उफ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़ उफ़्फ़फ़ कर रही थी और कह रही थी कि जरा जोर से उंगली को अंदर बाहर कर और मैं और तेजी के साथ करने लगा। उसके मुँह से सिसकारियों की आवाज बढ़ती ही जा रही थी और वो लगातार उफ़फ़्फ़फ़्फ़फ़फ़।।।।।उफ़्फ़फ़्फ़फ़।।।।ओह्हह्हह।।। ।ह्हह्हह् हाय मर गई ! कर रही थी तभी वो अपनी कमर तेजी के साथ हिलाने लगी और अटक अटक कर बोली- हा आ ऽऽ आ आ आ।।।।।। और्रर्रर्रर्रर्र तेज्जज्जज्जज से अंदर बाहर करो हाय ईईई मेर्रर्रर्रर्रर्रर्ररा निकलाआआआआ निकलाआआआआअ कह कर शान्त सी हो गई और मैंने देखा कि उसकी चूत में से पानी निकल रहा था जिससे चादर गीली हो गई थी।